Published 14:52 IST, September 30th 2024
कोरोना लॉकडाउन से कांपी थी इंसानियत, धरती नहीं चांद पर भी पड़ा असर; भारतीय वैज्ञानिकों का बड़ा दावा
स्टडी में बताया गया कि अप्रैल-मई 2020 के दौरान जब सबसे सख्त लॉकडाउन लगा था, उस अवधि में चंद्रमा की सतह के तापमान में गिरावट आई।
Corona Impact on Moon Temperature: साल 2020 में आई कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अस्त-व्यस्त करके रख दिया था। इस दौरान लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपने घरों में महीनों तक कैद होकर रहना पड़ा। हालांकि कोरोना का असर केवल पृथ्वी तक ही सीमित नहीं था, बल्कि चांद पर भी इसका प्रभाव देखने को मिला।
दरअसल, चांद के तापमान का कोरोना पर असर पड़ा था। हाल ही में प्रकाशित हुई एक स्टडी में बताया गया कि 2020 के सबसे सख्त लॉकडाउन के दौरान चंद्रमा की सतह के तापमान में असामान्य गिरावट देखी गई थीं।
8 से 10 केल्विन तक गिरा चंद्रमा की सतह का पारा
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के पब्लिश्ड इस स्टडी में बताया गया कि अप्रैल-मई 2020 के दौरान जब सबसे सख्त लॉकडाउन लगा था, उस अवधि में चंद्रमा की सतह के तापमान में गिरावट आई थीं।
फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL) के रिसर्चर्स दुर्गा प्रसाद और जी अम्बिली ने साल 2017 और 2023 के बीच चंद्रमा के निकटवर्ती भाग में छह अलग-अलग जगहों पर रात के समय के सतही तापमान का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण के दौरान उन्होंने पाया कि अन्य सालों की तुलना में लॉकडाउन के समय तापमान में 8-10 केल्विन की गिरावट आई।
चांद के तापमान में काफी बदलाव
इस रिसर्च के लिए NASA के Lunar Reconnaissance Orbiter (LRO) के डेटा की मदद ली गई थी। शोधकर्ताओं ने 12 साल के डेटा का अध्ययन किया। हालांकि उन्होंने अपनी इस रिसर्च के लिए 7 साल यानी 2017-2023 के डेटा का इस्तेमाल किया। यह लॉकडाउन से तीन साल पहले और तीन साल बाद का था।
रिसर्च में पाया गया कि अलग-अलग सालों में अलग स्थानों पर तापमान में अंतर होता है। सबसे कम तापमान साल 2020 में साइट-2 पर दर्ज किया गया, जो 96.2 केल्विन था। वहीं, 2022 में सबसे कम तापमान साइट-1 पर देखा गया। साल 2020 में चांद की सतह पर अधिकांश स्थानों पर कम तापमान रिकॉर्ड किया गया। हालांकि लॉकडाउन हटने के बाद साल 2021 और 2022 में धीरे-धीरे चंद्रमा पर गर्मी फिर बढ़ने लगी।
शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से रेडिएशन में गिरावट आई और चांद के तापमान में भी कमी दर्ज की गई। इस दौरान ग्रीन हाउस गैसों और एयरोसोल के उत्सर्जन में भी बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इससे चांद के तापमान में भी गिरावट देखी गई।
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Updated 14:52 IST, September 30th 2024