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Published 23:14 IST, August 28th 2024

शिवाजी की प्रतिमा गिरने के लिए अजित पवार ने लोगों से माफी मांगी

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मालवण किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना के लिए बुधवार को महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांगी।

अजित पवार | Image: PTI

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने तटीय कोंकण क्षेत्र के मालवण किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिरने की घटना के लिए बुधवार को महाराष्ट्र के लोगों से माफी मांगी। महाराष्ट्र में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले शिवाजी की प्रतिमा गिरने को लेकर आक्रोश और राजनीतिक पारा बढ़ने के बीच पवार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की बात कही।

शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सदस्य नारायण राणे के समर्थकों के बीच सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में झड़प हो गई, जहां गत 26 अगस्त को शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी। वहीं राज्य के एक अन्य उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिमा गिरने की घटना को दुखद बताया और इस पर राजनीति करने से बचने की अपील की।

अजित पवार ने लातूर जिले में जन सम्मान यात्रा के दौरान एक जनसभा में कहा, “चाहे अधिकारी हों या ठेकेदार, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” पवार ने कहा, “शिवाजी महाराज हमारे देव हैं। मैं उनकी प्रतिमा गिरने के लिए महाराष्ट्र के 13 करोड़ लोगों से माफी मांगता हूं।” उन्होंने कहा कि (अनावरण के) एक साल के भीतर मराठा शासक शिवाजी महाराज की प्रतिमा का गिरना चौंकाने वाला है।

प्रतिमा के ठेकेदार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने करीब नौ महीने पहले किया था। राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक शिकायत के बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रतिमा का निर्माण कार्य घटिया गुणवत्ता का था।

इस बीच, मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर सिंधुदुर्ग जिले की मालवण तहसील में प्रतिमा स्थल पर शिवसेना (यूबीटी) कार्यकर्ताओं और नारायण राणे के समर्थकों के बीच झड़प हो गई। दोनों पक्षों के बीच यह झड़प राजकोट किले में शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे और उनके परिवार के कट्टर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एवं रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद राणे के लगभग एकसाथ पहुंचने पर शुरू हुई।

एक अधिकारी ने बताया कि स्थल पर पथराव में पुलिस कांस्टेबल संभाजी पाटिल घायल हो गए। इस घटना के बाद से राज्य की राजनीति में उबाल आ गया है। महायुति सरकार विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) के निशाने पर आ गई है, जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग कर रहा है। ठाकरे ने मंगलवार को इस घटना को शिवाजी महाराज का घोर अपमान बताया था और सत्तारूढ़ गठबंधन से जवाबदेही की मांग की थी। वे बुधवार को स्थिति का जायजा लेने के लिए किले में पहुंचे।

वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे भी अपने बड़े बेटे एवं पूर्व सांसद नीलेश राणे और अपने समर्थकों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। जब ठाकरे किले के अंदर थे, तब राणे पुलिस के साथ बहस करते दिखे। जल्द ही दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच झड़प शुरू हो गई, जिन्होंने एक-दूसरे को धक्का दिया।

पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने बढ़ते तनाव के बीच स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए संघर्ष किया। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल भेजा गया। ठाकरे ने हंगामे को "दुर्भाग्यपूर्ण" बताया। राज्य के पूर्व मंत्री ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से छत्रपति शिवाजी महाराज के किले में राजनीति में लिप्त नहीं होने को कहा है।"

कोकण में काफी प्रभाव रखने वाले नारायण राणे ने इस झड़प के लिए प्रतिद्वंद्वी पक्ष को जिम्मेदार ठहराया। सिंधुदुर्ग में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सख्त लहजे में कहा कि अगर उन्होंने फैसला कर लिया होता, तो "(स्थल पर) विरोध प्रदर्शन करने आया एमवीए का एक भी व्यक्ति घर नहीं पहुंचता।"

नारायण राणे ने कहा, ‘‘हमने अपनी तरफ से कुछ भी शुरू नहीं किया। हम प्रतिमा स्थल से लौट रहे थे, जब उन्होंने (शिवसेना यूबीटी कार्यकर्ताओं की ओर इशारा करते हुए) हम पर हमला किया। हम छोटी-मोटी लड़ाइयों में लिप्त नहीं होते। अगर हमने फैसला किया होता, तो कोई भी घर नहीं पहुंच पाता। क्या आपको हमारा इतिहास नहीं पता?’’

उन्होंने प्रतिमा के निर्माण और स्थापना में विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की हवा निकालने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "आप बिना किसी सबूत के शिवाजी की प्रतिमा के निर्माण के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप कैसे लगा सकते हैं? अगर निर्माण कार्य घटिया गुणवत्ता का था, तो इसका पता लगाया जा सकता है। हमारी मांग यह भी है कि प्रतिमा के गिरने के पीछे के कारणों की जांच की जाए। राज्य सरकार को उन लोगों को नहीं बख्शना चाहिए जिन्होंने इसे बनाया और स्थापित किया।’’

इस बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने नागपुर में संवाददाताओं के साथ बातचीत में प्रतिमा गिरने को एक दुखद घटना बताया और इस पर राजनीति करने से बचने का आह्वान किया। फडणवीस ने एक गहन जांच का आह्वान भी किया और आश्वासन दिया कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

फडणवीस ने कहा, “यह एक बहुत दुखद घटना है और किसी को भी इसका राजनीतिक लाभ उठाने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि मुंबई से लगभग 480 किलोमीटर दूर तटीय जिले के मालवण तहसील में घटनास्थल पर महान मराठा शासक की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

फडणवीस ने कहा कि नौसेना ने जांच को गंभीरता से लिया है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। राज्य सरकार ने मंगलवार को कहा था कि प्रतिमा नौसेना द्वारा बनाई गई थी। प्रतिमा गिरने को लेकर विपक्ष के हमले का जिक्र करते हुए फडणवीस ने उनसे इस घटना को आगामी चुनावों के चश्मे से न देखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र को ऐसी राजनीति से कोई फायदा नहीं होगा।"

राकांपा (शरद चंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार की टिप्पणी के बारे में कि "राज्य में भ्रष्टाचार चरम पर है", फडणवीस ने कहा कि प्रतिमा नौसेना की पहल थी न कि राज्य सरकार की परियोजना। सिंधुदुर्ग पुलिस ने परियोजना में शामिल ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट चेतन पाटिल के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है।

इस बीच, ठाणे में, महाराष्ट्र विकास आघाडी (एमवीए) के घटक राकांपा (शरद चंद्र पवार) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने एक विरोध प्रदर्शन किया और शिवाजी महाराज की घुड़सवारी वाली मूर्ति का दूध से अभिषेक किया। एमवीए नेताओं के एक समूह ने ठाणे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच सहित अपनी मांगों को सूचीबद्ध करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। ठाणे पुलिस आयुक्त को संबोधित ज्ञापन में, एमवीए नेताओं ने परियोजना ठेकेदार आप्टे की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की।

Updated 23:14 IST, August 28th 2024

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