Published 23:59 IST, September 16th 2024
RSS से संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भारत में सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारत में सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं लेकिन कुछ लोग इसके सदस्यों को ‘सरना’ जैसे अन्य धर्मों से जोड़कर आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
झारखंड और उसके पड़ोसी राज्यों के विभिन्न समूह मांग कर रहे हैं कि 'सरना' को आदिवासियों का धर्म घोषित किया जाए, क्योंकि उनकी प्रथाएं और पूजा पद्धति हिंदुओं और देश के अन्य सभी धर्मों से अलग हैं।
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इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से ‘सरना कोड’ शामिल करने की मांग कर रही है।
वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं। वे अतीत में हिंदू थे, वे वर्तमान में हिंदू हैं और वे भविष्य में भी हिंदू ही रहेंगे।’’ उनसे जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से 'सरना कोड' शामिल करने की मांग के बारे में पूछा गया था।
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उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग इस तरह के वैचारिक हमले करके आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने में लगे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा कि आदिवासी और हिंदू दोनों ही प्रकृति पूजक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत प्रकृति का पूजक है।’’
झारखंड के कुछ हिस्सों में जनसांख्यिकी परिवर्तन के भाजपा के दावों के बारे में पूछे जाने पर पेठकर ने कहा, ‘‘यह (प्रवृत्ति) केवल झारखंड तक ही सीमित नहीं है। यह परिदृश्य पूरे देश में है। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी वर्षों से इस तरह की प्रवृत्ति के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।’’
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मणिपुर में मौजूदा स्थितियों पर उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रुख बहुत स्पष्ट है। हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं।’’
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23:59 IST, September 16th 2024