Published 13:59 IST, August 22nd 2024
'ये अन नेचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम क्यों किया', कोलकाता केस की 'डायरी' देख SC के जज हैरान
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में सुनवाई की। CBI ने कोर्ट में आज स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की।
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Kolkata Rape Case: कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने अन नेचुरल डेथ की रिपोर्ट और पोस्टमार्टम के समय को लेकर हैरानी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से घटना से जुड़े तथ्यों पर सवाल पूछे। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक पहलू बेहद परेशान करने वाला है कि अन नेचुरल डेथ के रजिस्ट्रेशन से पहले पोस्टमार्टम होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या पर स्वतः संज्ञान याचिका पर सुनवाई की। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपी की चोट की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ये केस डायरी का हिस्सा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का खंडन किया और कहा कि सब कुछ वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया। एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई और पीड़िता के वरिष्ठ डॉक्टरों और सहकर्मियों के आग्रह के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था।
न नेचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम क्यों- CJI
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस से सवाल किया और पोस्टमार्टम के समय के बारे में पूछा। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने जवाब दिया कि ये शाम 6:10-7:10 बजे के आसपास था। सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या ये अन नेचुरल डेथ का मामला था या नहीं और अगर ये अन नेचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अन नेचुरल डेथ का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि ये बहुत आश्चर्यजनक है, क्योंकि पोस्टमार्टम अन नेचुरल डेथ के रजिस्ट्रेशन से पहले होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि कृपया जिम्मेदारी से बयान दें और जल्दबाजी में कोई बयान न दें। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से आगे कहा कि जब भी वो मामले को अगली तारीख पर लेगी तो कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें, क्योंकि अदालत को अभी तक ये जवाब नहीं मिला है कि अन नेचुरल डेथ का मामला कब दर्ज किया गया था।
30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा- जस्टिस पारदीवाला
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल सरकार की पूरी प्रक्रिया ऐसी है, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। पुलिस द्वारा आपराधिक कानून में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ऐसी नहीं है, जैसा सीआरपीसी में कहा गया है या मैंने अपने 30 साल के करियर में देखा है। तो क्या ये सच है कि पोस्टमार्टम के बाद अन नेचुरल डेथ रिपोर्ट दी गई। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने सहायक पुलिस अधीक्षक के आचरण पर संदेह जताया और कहा कि जो सहायक पुलिस अधीक्षक हैं, उनका आचरण भी बहुत संदिग्ध है। साथ ही जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि उन्होंने (सहायक पुलिस अधीक्षक) इस तरह से काम क्यों किया?
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Updated 13:59 IST, August 22nd 2024