Published 14:46 IST, August 22nd 2024
कोलकाता रेपकांड की सुनवाई के समय कपिल सिब्बल को हंसना पड़ा भारी, भड़के SG मेहता- किसी की गरिमा...
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल के हंसने पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी की मौत हुई है। उस मामले की सुनवाई चल रही है। आप हंस कैसे कर सकते हैं?
Kolkata Rape Case: सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप कांड पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल और तुषार मेहता के बीच जबरदस्त बहस हुई। कपिल सिब्बल कोलकाता मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष रख रहे हैं, जबकि सीबीआई की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालत में पेश हुए। गुरुवार को सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल एक बात पर हंसने लगे थे, जिससे तुषार मेहता को गुस्सा आ गया। उन्होंने अदालत में ही उन्हें खरी खोटी सुना डाली।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल के हंसने पर आपत्ति जताई और कहा कि किसी (कोलकाता की महिला डॉक्टर) की मौत हुई है। उस मामले की सुनवाई चल रही है। आप हंस कैसे कर सकते हैं। किसी की गरिमा का सवाल है। हुआ ये कि कोलकाता मामले में DD इंट्री को लेकर तुषार मेहता अपनी बात रख रहे थे, तभी हंसते हुए सिब्बल ने उनके सवाल का जवाब दिया था।
सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की
सीबीआई ने अदालत में गुरुवार को कोलकाता रेप कांड पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने खुलासा किया कि सीबीआई को जांच शुरू करना एक चुनौती रही है और घटनास्थल से छेडछाड हुई है। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पीड़िता के दोस्त ने मामले में तथ्य छुपाए जाने का संदेह जताया और वीडियोग्राफी पर जोर दिया। सीबीआई ने कहा कि राज्य पुलिस ने पीड़िता के माता-पिता से पहले कहा कि ये आत्महत्या का मामला है, फिर उसने कहा कि ये हत्या है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सबसे अधिक चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मृत पीड़िता के अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे प्राथमिकी दर्ज की गई।
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पुलिस की कार्यवाही पर तुषार मेहता ने सवाल उठाए
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पुलिस की तरफ से अन नेचुरल डेथ का मामला दर्ज करने और पोस्टमार्टम कराने में की गई कानूनी औपचारिकताओं के क्रम और समय पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अन नेचुरल डेथ (UD) केस 11.30 रात को रजिस्टर्ड हुआ और उसके बाद एफआईआर दर्ज हुई थी। हॉस्पिटल ने एफआईआर दर्ज नहीं कराई, बल्कि पीड़िता के पिता ने FIR दर्ज कराई। SG ने कहा कि पुलिस का आरोप गलत है कि शुरुआत में पिता ने एफआईआर दर्ज ना करने को कहा था। बाद में फिर पिता के कहने पर एफआईआर दर्ज हुई।
सुप्रीम कोर्ट ने भी केस डायरी पर हैरानी जताई
मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भी अन नेचुरल डेथ की रिपोर्ट और पोस्टमार्टम के समय को लेकर हैरानी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस का पक्ष रख रहे कपिल सिब्बल से पूछा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या ये अन नेचुरल डेथ का मामला था या नहीं और अगर ये अन नेचुरल डेथ नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी। सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अन नेचुरल डेथ का मामला दोपहर 1:45 बजे दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि ये बहुत आश्चर्यजनक है, क्योंकि पोस्टमार्टम अन नेचुरल डेथ के रजिस्ट्रेशन से पहले होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि कृपया जिम्मेदारी से बयान दें और जल्दबाजी में कोई बयान न दें। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से आगे कहा कि जब भी वो मामले को अगली तारीख पर लेगी तो कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें, क्योंकि अदालत को अभी तक ये जवाब नहीं मिला है कि अन नेचुरल डेथ का मामला कब दर्ज किया गया था।
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल सरकार की पूरी प्रक्रिया ऐसी है, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। पुलिस द्वारा आपराधिक कानून में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ऐसी नहीं है, जैसा सीआरपीसी में कहा गया है या मैंने अपने 30 साल के करियर में देखा है। तो क्या ये सच है कि पोस्टमार्टम के बाद अन नेचुरल डेथ रिपोर्ट दी गई। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने सहायक पुलिस अधीक्षक के आचरण पर संदेह जताया और कहा कि जो सहायक पुलिस अधीक्षक हैं, उनका आचरण भी बहुत संदिग्ध है। साथ ही जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि उन्होंने (सहायक पुलिस अधीक्षक) इस तरह से काम क्यों किया?
Updated 14:46 IST, August 22nd 2024