Published 17:44 IST, August 30th 2024
IMA की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा- अधिकतर महिला डॉक्टर नाइट ड्यूटी के दौरान करती हैं असुरक्षित महसूस
आईएमए ने बताया कि अध्ययन में शामिल उसके एक तिहाई डॉक्टर, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं, अपनी रात्रि पाली के दौरान असुरक्षित महसूस करते हैं।
अधिकतर महिला डॉक्टर अपनी रात्रि पाली की ड्यूटी के दौरान ‘‘असुरक्षित या बहुत असुरक्षित’’ महसूस करती हैं, इतना असुरक्षित कि कुछ ने आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की आवश्यकता भी महसूस की है। ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। आईएमए ने बताया कि अध्ययन में शामिल उसके एक तिहाई डॉक्टर, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं, अपनी रात्रि पाली के दौरान ‘‘असुरक्षित’’ महसूस करते हैं।
कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में रात्रि पाली के दौरान डॉक्टरों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का आंकलन करने के लिए आईएमए द्वारा किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण में पाया गया कि 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं को रात्रि पाली के दौरान ‘ड्यूटी कक्ष’ उपलब्ध नहीं था। आईएमए ने दावा किया कि 3,885 व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं के साथ यह इस विषय पर भारत का सबसे बड़ा अध्ययन है।
आईएमए की केरल इकाई के अनुसंधान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन एवं उनकी टीम द्वारा अध्ययन के निष्कर्ष संकलित किए गए हैं। इस अध्ययन में 22 से अधिक राज्यों के डॉक्टर शामिल हुए, जिनमें से 85 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के थे, जबकि 61 प्रतिशत प्रशिक्षु या स्नातकोत्तर प्रशिक्षु थे। सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला कि ‘‘कई डॉक्टरों ने असुरक्षित (24.1 प्रतिशत) या बहुत असुरक्षित (11.4 प्रतिशत) महसूस करने की बात कही, जो कुल उत्तरदाताओं का एक तिहाई है। असुरक्षित महसूस करने वालों का अनुपात महिलाओं में अधिक था।’’
अध्ययन के मुताबिक, 20-30 वर्ष की आयु के डॉक्टरों में सुरक्षा की भावना सबसे कम थी और इस समूह में अधिकतर प्रशिक्षु और स्नातकोत्तर शामिल थे। इसके मुताबिक, रात्रि पाली के दौरान 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं को ‘ड्यूटी कक्ष’ उपलब्ध नहीं था और जिन लोगों के पास ड्यूटी रूम था, उनमें सुरक्षा की भावना अधिक थी। अध्ययन में पाया गया कि ड्यूटी कक्ष अक्सर भीड़भाड़ वाले होते हैं, जिनमें ताला लगाने की व्यवस्था जैसे आवश्यक पर्याप्त सुविधाएं भी नहीं होती हैं। इसमें पाया गया कि उपलब्ध ड्यूटी कक्ष में से एक तिहाई में संलग्न शौचालय नहीं था।
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘आधे से अधिक मामलों (53 प्रतिशत) में वार्ड/आपातकालीन क्षेत्र ड्यूटी कक्ष से दूर स्थित था।’’ सुरक्षा बढ़ाने के लिए डॉक्टरों ने कुछ सुझाव दिए, जिनमें प्रशिक्षित सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना, उचित प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करना, केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (सीपीए) को लागू करना, अलार्म प्रणाली लगाना और सुरक्षित ड्यूटी कक्ष जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना शामिल हैं। डॉ. जयदेवन ने कहा, ‘‘यह ऑनलाइन सर्वेक्षण पूरे भारत में सरकारी और निजी डॉक्टरों को ‘गूगल फॉर्म’ के माध्यम से भेजा गया था। 24 घंटे के भीतर 3,885 प्रतिक्रियाएं मिलीं।’’
Updated 17:44 IST, August 30th 2024