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Published 21:09 IST, May 15th 2024

कृष्ण जन्मभूमि मामला: कल भी जारी रहेगी इलाहाबाद HC में सुनवाई, जानिए आज क्या हुआ?

Allahabad उच्च न्यायालय में इस मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत में की जा रही है।

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद | Image: ANI

Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah dispute: मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में बुधवार को हिंदू पक्ष ने दलील दी कि यह संपत्ति एक हजार साल से अधिक समय से भगवान कटरा केशव देव की है और सोलहवीं शताब्दी में भगवान कृष्ण के जन्म स्थल को ध्वस्त कर ईदगाह के तौर पर एक चबूतरे का निर्माण कराया गया था।

हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि वर्ष 1968 में कथित समझौता कुछ और नहीं है, बल्कि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड और इंतेजामिया कमेटी द्वारा की गई एक धोखाधड़ी है। इसलिए समय सीमा की बाध्यता यहां लागू नहीं होती है। इसमें कहा गया है कि वर्ष 1968 का कथित समझौता वादी के संज्ञान में 2020 में आया और संज्ञान में आने के तीन साल के भीतर यह वाद दायर किया गया है।

कल भी होगी सुनवाई

इसके अलावा, 12 अक्टूबर, 1968 को हुए समझौते में भगवान पक्षकार नहीं थे और साथ ही समझौता करने वाला श्री कृष्ण जन्म सेवा संस्थान ऐसा किसी तरह का समझौता करने के लिए अधिकृत नहीं था, बल्कि इस संस्थान का काम दैनिक गतिविधियों का संचालन करना था।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत में की जा रही है।

मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या दी दलील?  

बुधवार को सुनवाई के दौरान, वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश हुईं मुस्लिम पक्ष की वकील तसलीमा अजीज अहमदी ने कहा कि उनके पक्ष ने 12 अक्टूबर, 1968 को एक समझौता किया था जिसकी पुष्टि 1974 में निर्णित एक दीवानी वाद में की गई। एक समझौते को चुनौती देने की समय सीमा तीन वर्ष है, लेकिन वाद 2020 में दायर किया गया। इस तरह से मौजूदा वाद समय सीमा से बाधित है।

अहमदी ने आगे दलील दी कि यह वाद शाही ईदगाह मस्जिद के ढांचे को हटाने के बाद कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए दायर किया गया है। वाद में की गई प्रार्थना दर्शाती है कि वहां मस्जिद का ढांचा मौजूद है और उसका कब्जा प्रबंधन समिति के पास है।

वहीं, हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि यह वाद पोषणीय (सुनवाई योग्य) है और गैर पोषणीयता के संबंध में दाखिल आवेदन पर निर्णय साक्ष्यों को देखने के बाद ही किया जा सकता है।

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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 21:09 IST, May 15th 2024

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