पब्लिश्ड 22:08 IST, January 27th 2025
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये कृषि सब्सिडी देने पर विचार कर सकती है सरकार- शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषी मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि सरकार खेती को सरल बनाने के लिए नीतिगत स्तर पर बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में उर्वरक, बीज और कृषि उपकरणों के लिए सब्सिडी वितरण प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये करने पर विचार किया जा सकता है।
- भारत
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केंद्रीय कृषी मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि सरकार खेती को सरल बनाने के लिए नीतिगत स्तर पर बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में उर्वरक, बीज और कृषि उपकरणों के लिए सब्सिडी वितरण प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये करने पर विचार किया जा सकता है।
सोमवार को अपने आवास पर गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किसानों के साथ बातचीत में कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि सरकार उर्वरक सब्सिडी पर 2,00,000 करोड़ रुपये तक खर्च करती है। चौहान ने कहा, ‘‘सरकार जो उर्वरक सब्सिडी देती है, उसकी लागत 2,00,000 करोड़ रुपये है। यूरिया की एक बोरी किसानों को 265 रुपये की पड़ती है, लेकिन इसकी कीमत 2,400 रुपये है। सब्सिडी कंपनी को जाती है। उर्वरक का इस्तेमाल अन्य उद्देश्यों के लिए भी किया जाता है... अगर कोई विश्वसनीय प्रणाली हो, तो किसानों को सीधे उनके खातों में सब्सिडी दी जा सकती है।'
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की लागत लगभग 60,000 करोड़ रुपये आती है, अगर उर्वरक सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से दी जाती है, तो बैंक बही-खाता और बढ़ जाएगा।' मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार कृषि उपज के लिए परिवहन लागत वहन करने पर विचार कर रही है ताकि किसान अपने उत्पादों को देशभर में बेच सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘हम किसानों के लिए कृषि को सरल बनाने का प्रयास कर रहे हैं। सोयाबीन की कीमतें कम हो गईं, इसलिए हमने (सोयाबीन) तेल के आयात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया... हमने बासमती चावल के निर्यात से अंकुश हटा दिया...।' उन्होंने कहा कि कृषि उपज का दाम कम होता है, लेकिन जबतक यह शहरों में पहुंचती है, कीमत काफी बढ़ जाती है। हम उपभोक्ताओं के लिए इस अंतर को कम करना चाहते हैं। यदि केंद्र और राज्य परिवहन का खर्च वहन करें, तो ऐसा हो सकता है।
अपडेटेड 22:08 IST, January 27th 2025