Download the all-new Republic app:

Published 17:55 IST, October 13th 2024

DU के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा का परिवार उनका पार्थिव शरीर सरकारी मेडिकल कॉलेज को दान करेगा

पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा के परिवार के सदस्यों ने रविवार को कहा कि साईबाबा की इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर दान कर दिया जाएगा।

Follow: Google News Icon
×

Share


अंग दान | Image: Unsplash

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा के परिवार के सदस्यों ने रविवार को कहा कि साईबाबा की इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर दान कर दिया जाएगा। हैदराबाद, 13 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी.एन. साईबाबा के परिवार के सदस्यों ने रविवार को कहा कि साईबाबा की इच्छा के अनुसार उनका पार्थिव शरीर यहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज को दान कर दिया जाएगा।

परिजनों ने बताया कि पार्थिव शरीर 14 अक्टूबर को गांधी मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया जाएगा। माओवादियों से कथित संबंधों के एक मामले में महज सात महीने पहले बरी किए गए दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा का ऑपरेशन के बाद की समस्याओं के कारण शनिवार को यहां एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया था। वह 58 वर्ष के थे।

परिवार ने बताया कि निम्स के शवगृह में रखे गए साईबाबा के पार्थिव शरीर को 14 अक्टूबर को गन पार्क ले जाया जाएगा और वहां से उनके भाई के आवास पर ले जाया जाएगा तथा सार्वजनिक रूप से श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा। इसके बाद एक शोक सभा का आयोजन किया जाएगा।

साईबाबा पित्ताशय के संक्रमण से पीड़ित थे और दो सप्ताह पहले उनका ऑपरेशन हुआ था जिसके बाद जटिलताएं पैदा हो गईं। एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि शनिवार रात करीब नौ बजे सईबाबा ने अंतिम सांस ली। वह पिछले 20 दिन से ‘निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज’ (निम्स) में भर्ती थे।

साईबाबा के परिवार में उनकी पत्नी और एक बेटी है।

साईबाबा की बेटी मंजीरा ने ‘पीटीआई’ की वीडियो सेवा को बताया, ‘‘यह (शरीर दान करना) हमेशा से उनकी (साईबाबा) इच्छा रही है। हमने पहले ही एलवी प्रसाद नेत्र संस्थान (हैदराबाद) को उनकी आंखें दान कर दी हैं और उनका पार्थिव शरीर भी कल दान कर दिया जाएगा।’’

उन्होंने कहा कि परिवार के सदस्यों को उम्मीद थी कि साईबाबा ठीक होकर घर वापस आ जाएंगे। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने माओवादियों से कथित संबंध मामले में साईबाबा एवं पांच अन्य को मार्च में बरी कर दिया था और कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रहा है। अदालत ने उनकी आजीवन कारावास की सजा भी रद्द कर दी थी।

अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाने के लिए प्राप्त की गई मंजूरी को ‘‘अमान्य’’ करार दिया था।

बरी होने के बाद, साईबाबा व्हीलचेयर पर बैठकर 10 साल बाद नागपुर केंद्रीय कारागार से बाहर आए थे। साईबाबा ने इस साल अगस्त में आरोप लगाया था कि उनके शरीर के बाएं हिस्से के लकवाग्रस्त हो जाने के बावजूद प्राधिकारी नौ महीने तक उन्हें अस्पताल नहीं ले गए और उन्हें नागपुर केंद्रीय कारागार में केवल दर्द निवारक दवाएं दी गईं, जहां वह 2014 में इस मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद से बंद थे।

अंग्रेजी के पूर्व प्रोफेसर ने दावा किया था कि उनकी आवाज दबाने के लिए उनका ‘‘अपहरण’’ किया गया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। आंध्र प्रदेश के मूल निवासी साईबाबा ने आरोप लगाया था कि प्राधिकारियों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने (मुद्दों पर) ‘‘आवाज उठाना’’ बंद नहीं किया तो उन्हें किसी झूठे मामले में गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

Updated 17:55 IST, October 13th 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.