पब्लिश्ड 19:13 IST, January 20th 2025
Kolkata Rape-Murder Case: नाखून में चमड़ी, प्राइवेट पार्ट में सिमन...सबूत दे रहे गवाही फिर भी फांसी से कैसे बचा संजय रॉय?
गुस्से और आंसुओं की उंगली पकड़कर इंसानों के बीच मौजूद उस भेड़िए से मुकाबला करने पूरा देश निकल पड़ा।
- भारत
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Kolkata Rape-Murder Case: 9 अगस्त 2024 का दिन। कोलकाता में जो हुआ उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। डॉक्टर बिटिया के साथ आरजीकर मेडिकल कॉलेज के भीतर दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गई। रात के चीर देने वाले सन्नाटे में दरिंदे संजय रॉय ने उसे सेमिनार हॉल में घसीट लिया और अस्मत लूटी। वो हैवान यहीं नहीं रुका, उसने हैवानियत का तांड़व किया। डॉक्टर बिटिया के कूल्हे टूटे हुए मिले। दोनों आंखे फूटी हुई थीं।
वारदात हॉल से निकल जब पूरे देश में फैली तो गुस्से का सैलाब सड़क पर उतर गया। गुस्से और आंसुओं की उंगली पकड़कर इंसानों के बीच मौजूद उस भेड़िए से मुकाबला करने पूरा देश निकल पड़ा। पत्थरों की जगह हाथों में मोमबत्तियां उठाई गईं। डॉक्टर बिटिया को इंसाफ दिलाने के लिए दिन-रात आंदोलन हुए। फांसी से कम कोई उम्मीद नहीं कर रहा था। पर 20 जनवरी को सियालदह की अदालत ने गुनहगार संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई। इतना ही नहीं कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस तक नहीं माना। हर कोई हैरान है कि जब सबूत चीख-चीखकर गवाही दे रहे हैं फिर फांसी से कैसे बच गया संजय रॉय?
प्राइवेट पार्ट में सिमन, नाखून में चमड़ी...पहले जान लीजिए चीखते सबूतों को
उम्रकैद की सजा मिलने के बाद भी संजय रॉय खुद को बेगुनाह बता रहा है। वो भी तब जब उसके खिलाफ सबूत चीख-चीखकर गवाही दे रहे हैं। सजा से पहले भी उसने अपने वकील को बताया था कि वो निर्दोष है। सूत्रों के मुताबिक पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान संजय रॉय से लगभग 10 सवाल पूछे गए थे।
उनमें से एक सवाल था कि मर्डर करने के बाद उसने आगे क्या किया? इस सवाल पर संजय रॉय ने अधिकारियों को बीच में ही रोकते हुए कहा था कि उसने मर्डर नहीं किया है। और इस तरह का सवाल ही नहीं उठता। उसने बताया कि जब वो सेमिनार हॉल में पहुंचा था तो लेडी डॉक्टर बेहोश पड़ी थी।
संजय रॉय के खिलाफ मिले सबूत
- संजय रॉय के शरीर पर लगे जख्म और पीडि़ता के नाखूनों में मिला खून और चमड़ी
- संजय रॉय के फोन से पेयर मिला ब्लूटूथ डिवाइस
- सीसीटीवी में सेमिनार रूम के पास आते-जाते दिखा संजय रॉय
- साइकोलॉजिकल टेस्ट में यह बात सामने आई कि वह सेक्सुअल परवर्ट है
- प्राइवेट पार्ट में मिला सिमन
अब जान लीजिए फांसी से कैसे बचा संजय रॉय
संजय रॉय फांसी से कैसे बचा ये जानने और समझने के लिए आपको 45 साल पहले जाना होगा। जब सुप्रीम कोर्ट ने बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में दुर्लभ से दुर्लभ का सिद्धांत सामने रखा था जिसके आधार पर किसी को फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। बचन सिंह का गुनाह आपको बता देते हैं पहले। बचन सिंह अपनी बीवी की हत्या के जुर्म में 14 साल की सजा काट चुका था।
इसके बाद रिहा कर दिया गया। वह अपने चचेरे भाई हुकुम सिंह के परिवार के साथ रहने लगा। ये हुकुम की बीवी को नागवार गुजरता। इससे गुस्से में आए बचन सिंह ने चार जुलाई, 1977 के दिन देसा सिंह, दुर्गा बाई और वीरन बाई को कुल्हाड़ी से काट डाला। वहीं उनकी मौत हो गई। इस बार मामला गंभीर था। निचली अदालत से फांसी की सजा सुनाई गई जिसे पंजाब हाई कोर्ट ने सही करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। यहां पांच जजों की बेंच ने नौ मई, 1980 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस बेंच में चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़, पीएन भगवती, एनएल उंतवालिया, आरएस सरकारिया और जस्टिस एडी कोशल शामिल थे। बेंच ने बचन सिंह की दलीलों को खारिज करते हुए फांसी की सजा को सही ठहराया। हालांकि कुछ शर्तें भी जोड़ दी गई। जिससे Rarest of Rare का सिद्धांत सामने आया।
इसमें कहा गया कि अपराध की परिस्थिति के साथ-साथ अपराधी के हालात का भी आकलन किया जाए। आरोपी की उम्र और भविष्य में सुधरने की गुंजाइश भी देखी जाए। उम्रकैद रूल हो और फांसी अपवाद के तौर पर दी जाए। आसाधारण क्रूरता और समाज पर व्यापक असर डालने वाले मामलों में ही फांसी दी जाए। जस्टिस पीएन भगवती ने जजमेंट के खिलाफ अलग फैसला लिखा।
इसी फैसले की दलील दी संजय रॉय के वकील ने और...
जस्टिस पीएन भगवती ने आईपीसी की धारा 302 को असंवैधानिक बताया। संजय रॉय के वकील ने इसे आधार बनाते हुए दलीलें रखीं। सियालदह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने माना कि ये केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर के दायरे में नहीं है।
अपडेटेड 19:13 IST, January 20th 2025