Published 16:06 IST, August 30th 2024
1984 Anti Sikh Riots: पुल बंगश गुरुद्वारा हिंसा मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आरोप तय
राउज एवेन्यू कोर्ट ने पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसा और तीन सिखों की हत्या के मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं में आरोप तय किए हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की हत्या के बाद 1984 में भड़के सिख विरोधी दंगों (Anti Sikh Riots) को लेकर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर (Congress Leader Jagdish Titler) के खिलाफ सुनवाई में आरोप तय कर लिए हैं। कोर्ट ने कहा अब टाइटलर के खिलाफ अगली सुनवाई 13 सितंबर को की जाएगी। एक नवंबर 1984 को पुल बंगश (Pul Bangash) इलाके में गुरुद्वारे में हुई हिंसा के दौरान 3 लोगों की हत्या कर दी गई थी। सीबीआई (CBI) ने इस मामले चार्जशीट दाखिल कर तत्कालीन कांग्रेस सांसद जगदीश टाइटलर को आरोपी बनाया था।
राउज एवेन्यू कोर्ट ने पुलबंगश गुरुद्वारा हिंसा और तीन सिखों की हत्या के मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ आईपीसी की 147, 149,153A,188, 109, 295, 380 और 302 धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। अब कोर्ट अगली सुनवाई में जगदीश टाइटलर पर सजा तय करेगी। एक नवंबर 1984 को आजाद मार्केट के पुल बंगश स्थित गुरुद्वारा को एक हिंसक भीड़ ने आग लगा दी थी इसमें सरदार ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह नाम के तीन लोगों की जलकर मौत हो गई थी। गवाहों ने बताया उस हिंसक भीड़ को उकसाने में जगदीश टाइटलर का सबसे बड़ा रोल था।
3 बार टाइटलर को मिल चुकी थी क्लीन चिट
हालांकि पुल बंगश गुरुद्वारा हिंसा (Pul Bangash Gurudwara Violence) मामले इससे पहले 3 बार जगदीश टाइटलर को क्लीनचिट मिल गई थी, लेकिन इस बार कोर्ट ने सिख दंगा मामले में पूर्व सांसद के खिलाफ आरोप तय कर लिए हैं। इसके पहले सीबीआई ने कोर्ट में दावा किया था कि 1984 सिख विरोधी दंगों के चश्मदीदों ने दंगों के दौरान कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को भीड़ को उकसाते हुए देखा था।
कोर्ट में इसके पहले बचाव पक्ष के वकील ने दी थीं कई दलीलें
इसके पहले भी पिछली सुनवाइयों के दौरान कोर्ट में टाइटलर को बचाने के लिए बचाव पक्ष के वकील ने कई तरह से दलीलें दी थीं। इसके पहले 19 जुलाई को सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील मनु शर्मा ने तीन मूर्ति हाउस में दूरदर्शन की शूटिंग का एक वीडियो रिकॉर्ड पर रखा, जहां इंदिरा गांधी का शव रखा गया था। मनु शर्मा ने दलील दी थी कि सीबीआई ने तीन क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की हैं। सीबीआई ने सह-आरोपी सुरेश कुमार पनेवाला के खिलाफ 2009 में चार्जशीट दाखिल की थी। उसे ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया था। यह भी दलील दी गई कि 1984 से लेकर 2022-23 तक कोई गवाह नहीं आया। 40 साल के लंबे अंतराल के बाद गवाह सामने आ रहे हैं। उन पर कैसे भरोसा किया जा सकता है?
क्यों भड़के थे 1984 में सिख दंगे?
31 अक्टूबर 1984 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। प्रधानमंत्री की हत्या के बाद पूरे देश में सिखों को निशाना बनाया गया और देखते ही देखते सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए। तत्कालीन कांग्रेस सांसद जगदीश टाइटलर ने दंगों में हिंसक भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाया, ये बयान सिख दंगों के तत्कालीन गवाहों ने कोर्ट में में दिए। इन्हीं बयानों के आधार पर कोर्ट ने दंगाइयों ने राष्ट्रीय राजधानी के पुल बंगश इलाके में 3 लोगों की हत्या की वजह बताई। वहीं इस मामले में चल रही सुनवाई पर सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि टाइटलर के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। ऐसे चश्मदीद गवाह हैं जिन्होंने उसे 1984 के दंगों के दौरान भीड़ को उकसाते हुए देखा था।
Updated 16:57 IST, August 30th 2024