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पब्लिश्ड 22:40 IST, August 28th 2024

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिला पर धोखाधड़ी के आरोप को किया खारिज, कहा- विवाह टूटने में बेईमानी की मंशा नही

बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुणे के एक व्यक्ति द्वारा होने वाली बहू के खिलाफ दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया।

बॉम्बे हाईकोर्ट | Image: PTI (Representational Image)

बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को पुणे के एक व्यक्ति द्वारा होने वाली बहू के खिलाफ दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया। युवती 2022 में शिकायतकर्ता के बेटे के साथ अपनी निर्धारित शादी से कुछ दिन पहले अपने प्रेमी के साथ चली गई थी।

अदालत ने कहा कि महिला का किसी को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था। न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने इस स्थिति को एक “अफसोसजनक मामला” बताया, जिसमें एक युवती शामिल थी, जो अपने माता-पिता को अपने प्रेम संबंध के बारे में बताने के लिए संघर्ष कर रही थी।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि महिला या उसके परिवार की ओर से शिकायतकर्ता या उसके रिश्तेदारों को धोखा देने का कोई इरादा नहीं था। उच्च न्यायालय ने दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की श्रृंखला का उल्लेख किया, जिसमें युवती ने परिवार और सामाजिक अपेक्षाओं को दरकिनार करते हुए अपनी पसंद के व्यक्ति से प्रेम कर लिया। हालांकि, वह अपने परिवार को इस रिश्ते के बारे में बताने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।

उसके परिवार ने गलती से यह मान लिया कि उसकी चुप्पी तय की गई शादी के लिए सहमति है, जिसके कारण उन्होंने शिकायतकर्ता के बेटे के साथ उसकी सगाई तय कर दी और एक मई, 2022 को शादी की तारीख तय कर दी।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आवेदकों (महिला और उसके परिवार) को कथित अपराध से कोई आर्थिक लाभ नहीं हुआ, बल्कि इसके विपरीत, युवती के प्रेमी के साथ चले जाने की घटना के बाद उन्हें भी बदनामी झेलनी पड़ी और शर्मिंदगी उठानी पड़ी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि धोखाधड़ी के अपराध को साबित करने के लिए, शिकायत में आरोपी की ओर से धोखाधड़ी और बेईमानी का इरादा दर्शाया जाना चाहिए और वर्तमान मामला प्रथम दृष्टया ‘धोखाधड़ी’ के संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करता है।

अदालत ने कहा, “इसमें किसी भी तरह की बेईमानी या धोखा देने के इरादे की कोई गंध नहीं है। यह एक परेशान युवती का मामला है जो अपने माता-पिता के निर्णय के साथ चली गई और उस व्यक्ति (उनकी पसंद) से विवाह करने को तैयार हो गई, लेकिन अंतिम समय में विवाह के दिखावे में शामिल होने को लेकर उसके मन में डर पैदा हो गया।”

उच्च न्यायालय ने कहा कि महिला द्वारा अपने माता-पिता को किसी अन्य व्यक्ति के साथ अपने रिश्ते के बारे में बताने का साहस न कर पाने को “धोखाधड़ी” नहीं माना जा सकता, और इसलिए उस पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।

अदालत ने कहा, “चुप रहने का निर्णय अधिक से अधिक अविवेकपूर्ण हो सकता है, लेकिन बेईमानी नहीं।” इसने साथ ही कहा कि महिला या उसके परिवार की ओर से शिकायतकर्ता या उसके परिवार के सदस्यों को धोखा देने की कोई मंशा नहीं थी।

महिला और उसके माता-पिता द्वारा चुने गए लड़के की सगाई हो गई थी और शादी की तारीख एक मई, 2022 तय की गई थी। शादी से कुछ दिन पहले महिला अपने प्रेमी के साथ चली गई, जिसके बाद उसके माता-पिता ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई।

महिला के होने वाले ससुराल वालों ने उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई। उनका आरोप था कि उन्होंने महिला के किसी दूसरे व्यक्ति से संबंध की बात उनसे छिपाई और इस तरह उनके साथ धोखाधड़ी की तथा उन्हें बदनाम किया।

(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)

अपडेटेड 22:40 IST, August 28th 2024

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