Published 17:18 IST, December 6th 2024
'बाबरी मस्जिद की शहादत कयामत तक... नहीं भूला जाएगा मुजरिमों का आजाद घूमना', अबू आजमी का भड़काऊ पोस्ट
अयोध्या में विवादित स्थल पर बनी बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के 32 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर सपा नेता अबू आजमी ने एक भड़काऊ पोस्ट किया है।
Ayodhya 6 December 1992: इतिहास में 6 दिसंबर का दिन बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ दर्ज है। आज ही के दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित स्थल पर बनी बाबरी मस्जिद को गिराया गया था। अयोध्या में घटी यह घटना इतिहास में प्रमुखता के साथ दर्ज है, जब राम मंदिर की सांकेतिक नींव रखने के लिए उमड़ी भीड़ ने बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। इस घटना के बाद देश के कई इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिनमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ था।
इस घटना को आज 32 साल पूरे हो गए हैं। 6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों की उमड़ी भीड़ ने बाबरी विध्वंस के विवादित ढांचे को पूरी तरह से ढहा दिया था। कोर्ट का आदेश आने के बाद अब रामजन्मभूमि पर अब भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है। लेकिन अभी तक मुस्लिम समुदाय उस दिन को नहीं भूला है। सपा नेता अबू आजमी ने एक भड़काऊ पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा कि 'बाबरी मस्जिद की शहादत कयामत तक नहीं भूली जाएगी। कभी नहीं भुला जाएगा कि बाबरी के मुजरिमों आजाद घूम रहे हैं। हमारा ईमान है आज नहीं तो कल वो इंसाफ जरूर करेगा।'
ऐसे बनी विवादित ढांचे को ढहाने की पृष्ठभूमि
80 के दशक का अंत और 90 के दशक की शुरुआत में ही राम जन्मभूमि की अलख देश में जाग चुकी थी। यही वो समय था जब देश भर से कारसेवक और साधु-संत राम मंदिर बनवाने के लिए अयोध्या कूच कर रहे थे। सूबे में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और 30 अक्तूबर, 1990 का दिन था। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से अयोध्या में कर्फ्यू लगाया गया था जिसकी वजह से कारसेवकों और श्रद्धालुओं को अयोध्या में प्रवेश से रोका जा रहा था।
पुलिस ने विवादित ढांचे के एक किलोमीटर के दायरे से भी अधिक परिधि में सुरक्षा का घेरा बना रखा था। इसी दौरान कुछ कारसेवक जो कि विवादित ढांचे की ओर बढ़ रहे थे उन पर पुलिस ने गोलियां चलाईं और 2 कारसेवकों की वहीं मौत हो गई।
कारसेवकों पर चलवाईं गोलियां
30 अक्टूबर को अयोध्या में 5 कारसेवकों की मौत के बाद पूरे देश से हजारों कारसेवक अयोध्या पहुंचना शुरू हो गए। इस दौरान पूरे देश का माहौल बहुत ही गरम था। अयोध्या में हजारों कारसेवक हनुमान गढ़ी तक पहुंच गए थे। इस दौरान अशोक सिंघल, उमा भारती, स्वामी वामदेवी जैसे बड़े हिन्दुत्व के नेता अलग-अलग दिशाओं से हजारों कारसेवकों के साथ हनुमान गढ़ी की ओर बढ़ रहे थे। हनुमान गढ़ी विवादित ढांचे से कुछ ही दूरी पर स्थित था। 2 नवंबर की सुबह हनुमान गढ़ी से जैसे ही कारसेवकों ने आगे की ओर कूच किया पुलिस ने कारसेवकों पर गोलियां चला दीं। इसमें सरकारी आंकड़े के मुताबिक 18 कारसेवकों की मौत हो गई थी जिसमें कोलकाता के कोठारी बंधु भी शामिल थे।
6 दिसंबर, 1992: ढहा दिया विवादित ढांचा
इसके बाद पूरे देश से कारसेवकों का जत्था अयोध्या के लिए रवाना हो गया। एक ऐसी क्रांति जिसकी कोई परिकल्पना भी नहीं कर सकता था। शासन-प्रशासन ने इन कारसेवकों को रोकने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी। कर्फ्यू लगवाया, सड़कें बंद करवाईं, अयोध्या जाने वाले वाहनों को रोका, बैरिकेडिंग की लेकिन कारसेवक खेतों की पगडंडियों से गांवों से होते हुए अयोध्या पहुंचे।
6 दिसंबर, 1992 का वो दिन भी आ गया जब कारसेवकों की रैली में डेढ़ लाख से ज्यादा की भीड़ शामिल हो गई। इसके बाद ये भीड़ विवादित ढांचे के पास पहुंचते ही एकदम से बेकाबू हो गई और देखते ही देखते इस भीड़ ने विवादित बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया।
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Updated 20:33 IST, December 6th 2024