Published 22:54 IST, October 3rd 2024
1984 दंगे: पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में पीड़ित की पत्नी ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ गवाही दी
पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में एक पीड़ित की पत्नी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में गवाही दी।
1984 Sikh Riots Case: 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में एक पीड़ित की पत्नी ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में गवाही दी।
विशेष न्यायाधीश राकेश स्याल ने बादल सिंह की पत्नी लखविंदर कौर का बयान दर्ज किया। बादल सिंह उन तीन लोगों में से एक थे, जिनकी दंगों के दौरान गुरुद्वारे में आग लगाने वाली भीड़ द्वारा हत्या कर दी गयी थी।
'टाइटलर ने भीड़ को उकसाया था'
अपने बयान में कौर ने कहा कि एक प्रत्यक्षदर्शी ने उन्हें बताया कि टाइटलर एक वाहन में घटनास्थल पर आए थे और उन्होंने भीड़ को उकसाया था। कौर ने अदालत को बताया कि 2008 में उनकी मुलाकात सुरेन्द्र सिंह ग्रंथी से हुई थी, जो गुरुद्वारे में ग्रंथी के रूप में काम करते थे, जिन्होंने उन्हें घटना के बारे में बताया।
उन्होंने अदालत को बताया, “सुरेंदर सिंह ने मुझे बताया कि उन्होंने गुरुद्वारे की छत से यह घटना देखी। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें मेरे पति बादल सिंह गुरुद्वारे से बाहर निकलते नजर आए और देखा कि भीड़ ने उन पर हमला कर दिया और उनकी कृपाण को निकालकर उसी से उनकी हत्या कर दी। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि टाइटलर एक वाहन में घटनास्थल पर आए थे और उन्होंने सभी को वहां इकट्ठा किया था।”
'भीड़ ने टाइटलर के उकसावे पर हिंसा की'
उन्होंने कहा कि सुरेन्द्र सिंह ने उन्हें बताया कि भीड़ ने टाइटलर के उकसावे पर हिंसा की और उनके पति की हत्या करने के बाद उनके शव को एक गाड़ी में रखा गया और उसके ऊपर जलते हुए टायर डालकर उसे जला दिया गया। कौर ने बताया कि इसके बाद उन्होंने जांच के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
टाइटलर के वकील ने बयान का विरोध करते हुए कहा कि ग्रंथी का बयान अफवाह है और सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं है।
अदालत ने 15 अक्टूबर के लिए स्थगित की सुनवाई
अदालत ने इस दावे को खारिज कर दिया और मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। न्यायाधीश ने 30 अगस्त को मामले के संबंध में टाइटलर (80) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या), 109 (उकसाना), 147 (दंगा), 153 ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 143 (गैरकानूनी सभा) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था और कहा था कि आरोपी के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त आधार हैं।
टाइटलर द्वारा अपराध में खुद को निर्दोष बताने के बाद न्यायाधीश ने 13 सितंबर को आरोप तय किये। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया है कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को उकसाया और भड़काया, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जला दिया गया और तीन सिखों - ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह - की हत्या कर दी गयी।
पिछले साल टाइटलर को मिली थी अग्रिम जमानत
सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में यह भी कहा था कि टाइटलर एक नवंबर 1984 को गुरुद्वारे के सामने एक सफेद एम्बेसडर कार से बाहर आए और “सिखों को मार डालो, उन्होंने हमारी मां को मार डाला है” के नारे लगाकर भीड़ को उकसाया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे। पिछले साल अगस्त में एक सत्र अदालत ने इस मामले में टाइटलर को अग्रिम जमानत दे दी थी।
Updated 22:54 IST, October 3rd 2024