Published 16:50 IST, November 18th 2024
Kailash Gahlot: केजरीवाल और कैलाश गहलोत के बीच यहां से शुरू हुई थी दरार...AAP छोड़ने की Inside Story
कैलाश गहलोत के अचानक AAP से इस्तीफे से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या ये अचानक लिया गया फैसला था या किसी बड़ी पूर्व-नियोजित राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था।
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Kailash Gahlot: दिल्ली की सियासत में बड़ा चेहरा बन चुके कैलाश गहलोत अब भगवामय हो गए हैं। कैलाश गहलोत आम आदमी पार्टी में एक बड़ा चेहरा थे। उनकी हैसियत को समझा जा सकता है कि दिल्ली सरकार में 2017 से कल तक वो लगातार मंत्री बने रहे। पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार में काम किया और फिर आतिशी के नेतृत्व वाली सरकार में भी कई अहम पद संभाले। इसके बावजूद कैलाश गहलोत ने एक झटके में आम आदमी पार्टी की झाड़ू का धागा खोल दिया। उन्होंने रविवार को सिर्फ दिल्ली सरकार से ही नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफा दे दिया।
कैलाश गहलोत के अचानक AAP से इस्तीफे से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या ये अचानक लिया गया फैसला था या किसी बड़ी पूर्व-नियोजित राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था। समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कैलाश गहलोत के आम आदमी पार्टी छोड़ने की इनसाइड स्टोरी क्या है?
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क्या केजरीवाल को खटके थे कैलाश गहलोत?
एक बात स्पष्ट है कि कैलाश गहलोत का इस्तीफा AAP के भीतर बढ़ती दरार का संकेत है। संकेत इस बात के भी हैं कि कैलाश गहलोत जरूर केजरीवाल को खटक रहे थे। इसे ऐसे समझिए कि कैलाश गहलोत ने अपना इस्तीफा मंत्रिमंडल से दिया तो मुख्यमंत्री आतिशी ने इसे स्वीकार करने में देर नहीं की। आसान शब्दों में कहें तो गहलोत का इस्तीफा हुआ तो ना आतिशी और ना ही पार्टी स्तर पर उन्हें रोकने या समझाने जैसी कोई कोशिश हुई। इससे स्पष्ट है कि गहलोत को लेकर पार्टी पहले ही मन बना चुकी थी।
असल में कैलाश गहलोत और AAP नेतृत्व के बीच विवाद की शुरुआत कहीं ना कहीं दिसंबर 2023 से ही शुरू हो चुकी थी, जब विधि एवं न्याय विभाग, जिसे पहले गहलोत संभालते थे, उसे आतिशी को सौंप दिया गया था। मनीष सिसोदिया के जेल चले जाने के बाद विभागों के बंटवारे के समय की ये बात है। क्योंकि सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद गहलोत दिल्ली सरकार में नंबर दो थे, लेकिन बाद में आतिशी को महत्व दे दिया गया। इसको दरकिनार नहीं किया जा सकता कि इस घटनाक्रम ने ही AAP के शीर्ष नेतृत्व की गहलोत को लेकर विश्वास की कमी को दर्शाया।
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उसके बाद दिल्ली की सियासत में कैलाश गहलोत सबसे ज्यादा तब चर्चा में आए, जब 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन्हें राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए चुना गया। अरविंद केजरीवाल जब जेल में थे, उनकी गैरमौजूदगी में दिल्ली सरकार की तरफ से कैलाश गहलोत ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडा फहराया था। हालिया इस्तीफे के बाद इसकी चर्चा फिलहाल इसलिए है कि केजरीवाल ने उस समय आतिशी का नाम दिया था, लेकिन उपराज्यपाल ने कैलाश गहलोत को चुना था। बाद में कैलाश गहलोत दिल्ली में हालिया राजनीतिक बदलाव के दौरान मुख्यमंत्री की रेस में शामिल थे। हालांकि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल की जगह आतिशी को मिली। इससे केजरीवाल के लिए कैलाश के प्रति रुख को समझा जा सकता है।
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गहलोत को लेकर AAP का इशारा किस ओर?
आम आदमी पार्टी कैलाश गहलोत के इस्तीफे को एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानती है। अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में AAP नेता दुर्गेश पाठक सार्वजनिक तौर पर कहते हैं कि कैलाश गहलोत को पिछले कुछ महीनों से ED और IT का छापा डालकर दबाव में डाला जा रहा था। उनके पास कोई रास्ता नहीं था। संजय सिंह कहते हैं- 'कैलाश गहलोत का इस्तीफा बीजेपी की गंदी राजनीति और षड्यंत्र का हिस्सा है। कैलाश गहलोत के ऊपर ED-CBI का छापा डलवाकर दबाव बनाया गया और अब जो स्क्रिप्ट बीजेपी की तरफ से उन्हें दी गई है, वो उसी हिसाब से बोल रहे हैं।'
AAP के आरोपों का गहलोत ने दिया जवाब
भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद कैलाश गहलोत AAP के आरोपों का भी जवाब दे रहे हैं। गहलोत कहते हैं- 'मैं दिल्ली की जनता की सेवा के उद्देश्य से AAP में शामिल हुआ था। जिन मूल्यों के लिए हम आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे, मेरी आंखों के सामने उनसे पूरी तरह समझौता किया जा रहा था। ये मेरे शब्द हो सकते हैं, लेकिन मैं गारंटी देता हूं कि इन शब्दों के पीछे लाखों-हजारों AAP कार्यकर्ताओं की आवाज है। वो (केजरीवाल) आम आदमी की सेवा के लिए शामिल हुए थे, लेकिन वो अब 'आम आदमी' से 'खास' बन गए हैं।'
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कैलाश गहलोत ने AAP छोड़ने की क्या वजह बताई?
आम आदमी पार्टी के ऊपर कैलाश गहलोत ने रविवार को लेटर बम फोड़ा, जिसमें इस्तीफे की भी घोषणा की गई। केजरीवाल और AAP जिन आरोपों को लेकर दिल्ली में घिरती रही है, कैलाश गहलोत ने इस्तीफे के साथ सबका जिक्र किया। गहलोत ने दिल्ली के लोगों की सेवा करने के मौके के लिए आम आदमी पार्टी के प्रति आभार व्यक्त किया, लेकिन यमुना नदी की सफाई जैसे प्रमुख वादों को पूरा करने में AAP की विफलता को उजागर किया। उन्होंने 'शीशमहल' मुद्दे समेत शर्मनाक विवादों की ओर भी इशारा किया, जिसने पार्टी में जनता के विश्वास को खत्म कर दिया।
कैलाश गहलोत के बारे में (Who is Kailash Gahlot)
11 मार्च 1974 को जन्मे कैलाश गहलोत पेशे से वकील हैं। वो सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में कई केस लड़ चुके हैं। जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कैलाश नई दिल्ली के नजफगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2015 में उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वाइन की थी और पहली बार विधायक बने थे। 2017 में अरविंद केजरीवाल ने गहलोत को अपनी सरकार में शामिल किया था। आतिशी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में वो अभी कई अहम मंत्रालय संभाल रहे थे, जिसमें परिवहन, कानून सुधार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, गृह विभाग के अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग शामिल है।
गहलोत पर सरकार में रहते क्या आरोप लगे?
कैलाश गहलोत पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगे, जिसमें कथित 2020 डीटीसी बस खरीद घोटाले में सीबीआई की जांच भी शामिल है। 1000 बसों के लिए 4500 करोड़ रुपये के रखरखाव अनुबंध में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बाद शुरू हुए इस मामले के कारण तत्कालीन LG अनिल बैजल ने निविदा प्रक्रिया को निलंबित कर दिया था। इसके अलावा कैलाश गहलोत का नाम दिल्ली शराब नीति मामले में सामने आया, जहां उन्होंने कथित तौर पर मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के साथ मिलकर विवादास्पद विधानमंडल का मसौदा तैयार किया था। मार्च 2024 में इस मामले को लेकर उनसे पूछताछ भी की गई थी।
13:52 IST, November 18th 2024