Published 11:17 IST, September 8th 2024
आवाज के जादूगर भूपेन हजारिका, जो खुद लिखते और कंपोज करते थे अपने गीत... भारत रत्न से हुए सम्मानित
शायद ही ऐसा कोई होगा, जिस पर भारत रत्न भूपेन दा की आवाज का जादू न चला हो। भूपेन हजारिक एक एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वह अपनी मूल भाषा असमिया में तो गाते ही थे। साथ ही उन्होंने हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी गाने गए।
Bhupen Hazarika Birth Anniversary: फिल्म रुदाली का "दिल हूम हूम करे" हो या फिर “मां गंगा” की महिमा का वर्णन करने वाला गीत "ओ गंगा तू बहती है क्यों", जो भी इसे सुनता, वे इस गाने की धुन में खो जाता और ऐसा हो भी क्यों न हो क्योंकि इन गानों को आवाज दी थी, मशहूर गायक, गीत और संगीतकार भारत रत्न भूपेन हजारिका ने।
शायद ही ऐसा कोई होगा, जिस पर भारत रत्न भूपेन दा की आवाज का जादू न चला हो। भूपेन हजारिक एक एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, वह अपनी मूल भाषा असमिया में तो गाते ही थे। साथ ही उन्होंने हिंदी, बंगला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी गाने गए। उन्होंने फिल्म "गांधी टू हिटलर" में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन "वैष्णव जन" को भी अपनी आवाज से सजाया।
8 सितंबर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले के सदिया गांव में पैदा हुए भूपेन हजारिका पर अपनी मां के संगीत का काफी प्रभाव पड़ा। वह जब छोटे थे तो उनकी मां ने उन्हें लोरी और असम के पारंपरिक संगीत से अवगत कराया। बचपन में ही उनका झुकाव संगीत की तरफ हुआ और उन्होंने अपना पहला गीत लिख दिया। यही से उनका संगीत सम्राट बनने का सफर शुरू हुआ।
वह भारत के ऐसे कलाकार थे, जो अपने गीतों को खुद लिखते भी थे और उसका संगीत देते थे और फिर उसे गाते भी थे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत ऑल इंडिया रेडियो में गाने गाकर की। बाद में उन्होंने असमिया भाषा में गाना शुरू किया और इसके बाद बांग्ला, हिंदी समेत कई अन्य भाषाओं में अपनी आवाज दी।
भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों दिलों को छुआ। हजारिका की असरदार आवाज का जादू उनके गीत "दिल हूम हूम करे", "ओ गंगा तू बहती है क्यों", “समय ओ धीरे चलो”, “एक कलि दो पत्तियां”, में दिखाई देता है। वह असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति तथा संगीत के अच्छे जानकार भी थे।
भूपेन दा को साल 1975 में “राष्ट्रीय पुरस्कार”, 1992 में सिनेमा जगत का सर्वोच्च पुरस्कार “दादा साहब फाल्के”, 2009 में “असोम रत्न” तथा “संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड”, 2011 में पद्म भूषण जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। साल 2019 में भारत सरकार ने भूपेन दा को देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी भूपेन हजारिका को संगीत के अलावा राजनीति में भी दिलचस्पी थी। उन्होंने 70 के दशक में राजनीति में भी हाथ आजमाया और 1967-72 के दौरान वह विधायक भी रहें। उन्होंने करियर के दौरान एक हजार से अधिक गीतों को अपनी आवाज दी। आवाज के जादूगर भूपेन दा ने 5 नवंबर 2011 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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Updated 11:19 IST, September 8th 2024