Search icon
Download the all-new Republic app:

Published 21:52 IST, December 14th 2024

राज कपूर की 100वीं जयंती: जूनियर कलाकार ने प्रतिभाशाली और 'खुशमिजाज' फिल्मकार को याद किया

Asha Rani Singh का कहना है कि हिंदी फिल्म जगत के प्रथम परिवार के साथ संबंधों के बारे में उनकी बहुत अच्छी यादें हैं।

Follow: Google News Icon
×

Share


राज कपूर की 100वीं जयंती | Image: IANS

Raj Kapoor 100th Birth Anniversary: जूनियर कलाकार आशा रानी सिंह ने 1965 में पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया था और वह राज कपूर की फिल्मों के सेट पर नियमित रूप से जाती थीं। उन्होंने आखिरी बार करीना कपूर के साथ उनकी पहली फिल्म 'रिफ्यूजी' में भी काम किया था।

आशा रानी सिंह का कहना है कि हिंदी फिल्म जगत के प्रथम परिवार के साथ संबंधों के बारे में उनकी बहुत अच्छी यादें हैं। पुरानी यादों को ताजा करते हुए 78 वर्षीय आशा रानी सिंह ने कहा कि उन्हें राज कपूर की फिल्मों के सेट पर बिताया गया समय अब ​​भी याद है। उन्होंने कहा कि राज कपूर की फिल्मों के सेट पर जूनियर कलाकारों के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाता था और वह उनसे प्रतिक्रिया भी लेते थे।

आशा रानी ने 'पीटीआई-भाषा' के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘राज साहब एक महान व्यक्ति थे और जूनियर कलाकारों का बहुत सम्मान करते थे। वह अक्सर हमें अपने गाने दिखाते थे और हमसे प्रतिक्रिया भी मांगते थे। वह कहते थे, 'आप सभी यह तय करेंगे कि मेरी फिल्में और गाने सफल होंगे या नहीं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘फिल्म रिलीज होने से पहले, वह हमें फिल्म दिखाते थे और पूछते थे, 'मुझे ईमानदारी से बताओ कि आप सभी इस गाने के बारे में क्या सोचते हैं, मुझे झूठी तारीफ मत दो। हम कहते थे, ‘सर, आप क्या कह रहे हैं?’ उनकी सभी फिल्में और गाने बेहतरीन थे।’’

फिल्म उद्योग में 55 वर्षों तक काम करने वाली जूनियर कलाकार ने ब्लैक एंड व्हाइट और रंगीन दोनों फिल्मों में काम किया है। उन्होंने कहा कि राज कपूर के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध थे। आशा रानी ने राज कपूर को एक खुशमिजाज व्यक्ति बताते हुए कहा, ‘‘वह एक बेहतरीन निर्देशक थे; वह हर किसी से अच्छा काम करवाते थे, चाहे वह अभिनय हो या नृत्य। जब उनका निधन हुआ तो मुझे बहुत दुख हुआ। मैं चाहती थी कि वह कुछ और साल जी सकें। ’’ उन्होंने राज कपूर के साथ 'प्रेम रोग', 'राम तेरी गंगा मैली', 'बॉबी', 'सत्यम शिवम सुंदरम' जैसी फिल्मों में काम किया।

जूनियर कलाकार ने कहा कि आरके स्टूडियो महिला कलाकारों के लिए काम करने की एक बेहतरीन जगह हुआ करती थी क्योंकि उन्हें अलग मेकअप रूम और स्नानघर दिए जाते थे। आरके स्टूडियो में एक बहुत बड़ा लेडीज रूम था जिसमें 15 से 20 शीशों वाला एक मेकअप रूम और एक शौचालय भी था। ऐसा नहीं था कि यह कमरा केवल प्रमुख कलाकारों के लिए था बल्कि सभी जूनियर कलाकारों के लिए भी था।

राज कपूर की पहली फिल्म कब रिलीज हुई थी?

राज कपूर 14 दिसंबर को 100 साल के हो जाते। उनकी पहली फिल्म 1948 में प्रदर्शित हुई थी, जो आजादी के एक साल बाद की बात है। जैसे-जैसे भारत दशकों में विकसित हुआ, वैसे-वैसे उनकी फिल्में भी विकसित होती गईं। उनकी शुरुआती श्वेत श्याम फिल्में समाज के सपनों और संघर्षों को दर्शाने वालीं थीं। बाद में चमकदार रंगों में उनकी फिल्में अवतरित हुईं।

राज कपूर ने अपनी पहली फिल्म से ही आर के स्टूडियो की शुरुआत की। उन्हें आज भी भारतीय सिनेमा के वास्तविक ‘शोमैन’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने ‘‘बरसात’’ के उत्साही प्रेमी, ‘‘श्री 420’’ के गरीब, ‘‘आवारा’’ के चैपलिन जैसे बदकिस्मत युवा, ‘‘मेरा नाम जोकर’’ के संवेदनशील जोकर और ‘‘संगम’’ में अपनी पत्नी का बेहद ख्याल रखने वाले पति के तौर पर यादगार भूमिका निभाई। ‘‘बॉबी’’, ‘‘सत्यम शिवम सुंदरम’’ और ‘‘राम तेरी गंगा मैली’’ जैसी फिल्में भी शामिल हैं, जिनका उन्होंने निर्माण और निर्देशन किया, लेकिन उनमें अभिनय नहीं किया।

राज कपूर ने दो अन्य महान अभिनेताओं देव आनंद और पेशावर से ही बॉम्बे (अब मुंबई) आए दिलीप कुमार के साथ बड़े परदे पर राज किया। हालांकि, अपने सहयोगियों से अलग, राज कपूर न केवल अभिनेता थे, बल्कि निर्माता और निर्देशक भी थे, जिनकी फिल्मों का संगीत कई दशकों बाद भी लोगों के दिलों को छूता है।

राज कपूर ने कितनी और कौन-कौन सी फिल्मों का किया था निर्देशन?

उन्होंने केवल 10 फिल्में निर्देशित कीं, जिनमें से कुछ अविस्मरणीय क्लासिक फिल्मों की सूची में ‘‘आवारा’’ और ‘‘श्री 420’’ हैं, अन्य ‘‘बॉबी’’ और ‘‘संगम’’ ब्लॉकबस्टर फिल्में और फिर विवादास्पद हिट फिल्में हैं, जिनमें ‘‘सत्यम शिवम सुंदरम’’, ‘‘प्रेम रोग’’ और ‘‘राम तेरी गंगा मैली’’ शामिल हैं।

राज कपूर की फिल्मों की सूची में ‘‘अंदाज’’, ‘‘जागते रहो’’ और ‘‘तीसरी कसम’’ शामिल हैं, जहां अभिनेता के रूप में राज कपूर ने अपनी चमक बिखेरी। उन्होंने अपने आर के स्टूडियो के जरिए फिल्में भी बनाईं, जो कई दशकों तक इंडस्ट्री में सबसे प्रभावशाली फिल्म स्टूडियो में से एक रहा। इन सबमें एक फ्लॉप-बेहद महत्वाकांक्षी फिल्म ‘‘मेरा नाम जोकर’’ भी थी, जिसे अब क्लासिक माना जाता है। इसकी असफलता ने उन्हें तोड़ दिया और उन्होंने किशोर रोमांस पर आधारित ‘‘बॉबी’’ का निर्माण किया।

उनकी सभी फिल्मों में बेहतरीन गाने थे। वैश्विक हिट ‘‘आवारा हूं’’, ‘‘जीना यहां मरना यहां’’, ‘‘प्यार हुआ इकरार हुआ’’ या ‘‘हम तुम एक कमरे में बंद हो’’। राज कपूर के भाई शशि कपूर ने एक वृत्तचित्र में उन्हें इस तरह याद किया था, ‘‘वह एक अद्भुत संगीतकार थे...मुझे लगता है कि यह जन्मजात था। मेरे पिता से नहीं, शायद उन्हें यह मेरी मां से मिला था जो एक गायिका थीं...वह कोई भी वाद्य यंत्र बजा सकते थे, चाहे वह अकॉर्डियन, तबला, पियानो या फिर बांसुरी हो।’’

राज कपूर तीन भाइयों में सबसे बड़े थे- राज और शशि के अलावा उनके एक अन्य भाई शम्मी कपूर थे। अपने पिता पृथ्वीराज कपूर की छाया से दूर, तीनों भाइयों ने फिल्म जगत में अपनी अलग जगह बनाई। राज कपूर सिर्फ 17 साल के थे जब उन्होंने अपने पिता से पढ़ाई छोड़कर फिल्मों में करियर बनाने की इजाजत मांगी। पृथ्वीराज इस शर्त पर राजी हुए कि वह 10 रुपये मासिक वजीफे पर उनके द्वारा नियुक्त कई सहायकों में से एक के रूप में काम करेंगे।

24 साल की उम्र में शुरू किया निर्देशक और निर्माता का काम

वर्ष 1947 में मधुबाला के साथ बनी ‘‘नील कमल’’ सहित अभिनेता के रूप में कुछ फिल्मों में काम करने के बाद, राज कपूर ने ‘‘आग’’ के साथ निर्देशक और निर्माता के रूप में कदम रखने का फैसला किया। उस समय उनकी उम्र 24 साल थी और वह उस समय दुनिया के सबसे युवा फिल्मकारों में से एक थे। ‘‘आग’’ आंतरिक बनाम बाहरी सुंदरता, प्रेम और निष्ठा पर भी चिंतन थी, ये ऐसे विषय थे जो फिल्मकार के साथ गहराई से जुड़े थे और उन्होंने इसे ‘‘बरसात’’ (1949) और ‘‘सत्यम शिवम सुंदरम’’ (1978) में फिर से पेश किया।

राज कपूर ने अपनी कई प्रारंभिक फिल्मों में चार्ली चैपलिन के व्यक्तित्व को अपनाया, जिसकी शुरुआत 1951 में आई ‘‘आवारा’’ से हुई और फिर ‘‘श्री 420’’ तथा ‘‘जिस देश में गंगा बहती है’’ में भी उन्होंने काम किया, जिसका निर्देशन उनके विश्वस्त सहयोगी राधू करमाकर ने किया था।

बतौर फिल्मकार इन फिल्मों में किया काम

बतौर फिल्मकार अपने 37 साल के करियर में 1948 में ‘‘आग’’ से शुरू होकर 1985 में ‘‘राम तेरी गंगा मैली’’ तक वह ज़्यादातर एक ही प्रतिभाशाली टीम के साथ जुड़े रहे। इसमें लेखक के ए अब्बास, छायाकार करमाकर, संगीतकार शंकर-जयकिशन, गीतकार शैलेंद्र और गायक मुकेश शामिल थे, जिन्हें वे अपनी आत्मा कहते थे और जो उनकी आवाज के रूप में जाने जाते थे।

यह भी पढ़ें… राज कपूर को पीएम मोदी ने किया याद, बोले- ‘वो एक सांस्कृतिक राजदूत थे’

Updated 22:25 IST, December 14th 2024

Recommended

Live TV

Republic Bharat is Bharat's leading news channel.