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पब्लिश्ड 14:30 IST, November 16th 2024

Maharashtra Elections: 'फॉर्मूला-83' में छुपी है महायुति की जीत की चाबी! शिंदे-अजित पर टिकी निगाहें

महायुति में BJP को सबसे बड़ी हिस्सेदारी मिली है, जो राज्य की 288 सीट में से 149 पर चुनाव लड़ रही है। शिंदे की शिवसेना 81 और अजित की NCP 59 सीट पर लड़ रही है।

Reported by: Dalchand Kumar
Devendra Fadnavis, Eknath Shinde and Ajit Pawar | Image: Facebook

Maharashtra Elections: महाराष्ट्र में महायुति के लिए नतीजे उसकी मेहनत पर निर्भर करेंगे, लेकिन असल मेहनत बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी गठबंधन को 83 सीटों के लिए करनी होगी। यही 83 सीटें महाराष्ट्र में पूरा गेम बदलने वाली होंगी और इसी में एकनाथ शिंदे और अजित पवार के सामने जनता की अदालत में अपने दूसरे धड़ों के मुकाबले अपने आप को सही साबित करने का मौका होगा।

महाराष्ट्र में असल लड़ाई महायुति और महाविकास आघाड़ी के बीच है। ये लड़ाई इतनी सरल नहीं है, क्योंकि इस बार राजनेता अपनी प्रतिष्ठा, विरासत और लोकप्रियता के लिए लड़ेंगे। वो इसलिए भी कि सतही स्तर पर महायुति बनाम एमवीए की लड़ाई में कई छोटी-छोटी लड़ाइयां भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। महायुति में बीजेपी, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी है। महाआघाड़ी में कांग्रेस के साथ उद्धव ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना-यूबीटी है और शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी है। बीजेपी-कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो दोनों गठबंधनों में शामिल बाकी की पार्टियां टूटकर बनी हैं।

दो शिवसेना-दो एनसीपी, चुनौती अपनी-अपनी!

महाराष्ट्र के चुनावी रण में शायद पहली बार होगा कि दो पार्टियां दो अलग-अलग धड़ों में बंटकर एक दूसरे के खिलाफ ही चुनाव रही हैं। पहले शिवसेना बंटी और एकनाथ शिंदे के हक में पार्टी सिंबल समेत आई, जबकि दूसरे धड़े में बिना तीर-कमान के उद्धव ठाकरे रह गए। एक एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में फूट पड़ी तो अजित पवार गुट और शरद पवार गुट दो धड़े हो गए। ऐसे में चारों के सामने अपने बलबूते खुद को साबित करने की कड़ी चुनौती है।

एकनाथ शिंदे को बालासाहेब के परिवार से अलग होकर उन्हीं के परिवार के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है तो अजित पवार के सामने अपने चाचा शरद पवार की राजनीति को गलत साबित करने का चैलेंज है। उद्धव ठाकरे बिना तीर-कमान के रण में खड़े हैं, जिनके लिए खुद का बचाव महत्वपूर्ण है तो शरद पवार के सामने बिना घड़ी (एनसीपी सिंबल) के सही समय पर अपने राजनीतिक साख को साधे रखने का मौका है।

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महाराष्ट्र में कौन-कितनी सीटों पर लड़ रहा चुनाव?

महायुति में भारतीय जनता पार्टी को सबसे बड़ी हिस्सेदारी मिली है और वो राज्य की 288 सीटों में से 149 पर चुनाव लड़ रही है। एकनाथ शिंदे की शिवसेना 81 सीटों पर और अजित पवार की एनसीपी 59 सीटों पर लड़ रही है। दूसरी तरफ एमवीए में कांग्रेस को 101 सीटें, उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी को 95 सीटें और शरद पवार की एनसीपी को 86 सीटें मिलीं हैं। छोटे दलों में एमवीए में शामिल अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने 9 उम्मीदवार खड़े किए हैं। बहुजन समाज पार्टी ने 237 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं और AIMIM के 17 उम्मीदवार मैदान में हैं।

कितनी सीटों पर मुख्य दलों में सीधी टक्कर?

महाराष्ट्र की 288 में से तकरीबन 158 सीटों पर मुख्य दलों या यूं कहें कि महायुति और एमवीए के बीच सीधी टक्कर है। इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियां 75 सीटों पर सीधी लड़ाई में उतरी हैं। 46 सीटों पर शिवसेना के दोनों गुट अजित पवार बनाम उद्धव ठाकरे की लड़ाई है। उसके अलावा 37 विधानसभा सीटों पर एनसीपी के दोनों धड़े अजित पवार बनाम शरद पवार का सीधा मुकाबला है।

बीजेपी बनाम कांग्रेस (75 सीट):  विदर्भ क्षेत्र में 35, पश्चिमी महाराष्ट्र में 12, मराठवाड़ा रीजन में 10, मुंबई में 8, उत्तरी महाराष्ट्र में 6 और कोंकण में 4 सीटों पर सीधी लड़ाई।

शिवसेना-शिंदे बनाम शिवसेना-यूबीटी (46 सीट): मराठवाड़ा रीजन में 10, मुंबई में 10, कोंकण में 9, पश्चिमी महाराष्ट्र में 8, विदर्भ क्षेत्र में 5 और उत्तरी महाराष्ट्र में 4 सीटों पर सीधी लड़ाई।

एनसीपी- अजित पवार बनाम एनसीपी- शरद पवार (37 सीट): पश्चिमी महाराष्ट्र में 21, मराठवाड़ा रीजन में 6, विदर्भ क्षेत्र में 3, उत्तरी महाराष्ट्र में 3, कोंकण में 3 और मुंबई में 1 सीटों पर सीधी लड़ाई।

महायुति के लिए अहम 'फॉर्मूला '83'

यहां 'फॉर्मूला '83' से मतलब है, वो 83 सीटें जहां शिवसेना और एनसीपी के दोनों धड़े आमने सामने की लड़ाई में खड़े हैं। यही 83 सीटें दोनों गठबंधनों में से किसी की भी सरकार बनाने के लिए सबसे अहम हैं। 83 सीटों से ही जनता की अदालत में असली और नकली का फर्क पता चलेगा। बहरहाल, 20 नवंबर को सभी 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव हैं, जहां जनता की अदालत में फैसला सभी का होगा।

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अपडेटेड 14:52 IST, November 16th 2024

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