Published 17:45 IST, May 28th 2024
4 जून को किसकी सरकार? नतीजों से पहले ही 'स्टीयरिंग' पर एक्शन में खड़गे, BJP बोली-अंतिम चरण में INDI
कांग्रेस अध्यक्ष ने 1 जून को INDI ब्लॉक के घटक दलों के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई है। आखिर वजह क्या है कि आखिरी दौर की वोटिंग का दिन ही चुन लिया!
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INDI Alliance Meet: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के दिन ही इंडी ब्लॉक के प्रमुख नेताओं की बैठक बुलाई है। मुद्दा क्या है? नतीजों से पहले जल्दबाजी क्यों? क्या वाकई चर्चा, समीक्षा, आकलन ही वजह है या ये अपना इकबाल बुलंद करने की जंग है!
वैसे 57 सीटों में मतदान के दौरान दिल्ली में इंडी ब्लॉक की बैठक का ऐलान हो तो गया लेकिन फिर अहम सदस्य टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने मना कर दिया। अपनी 'प्राथमिकता ' के बारे में बता आगाज से पहले ही जोरदार झटका दिया।
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ममता नहीं पहुंच पाएंगी क्यों?
पहले बात घटक की अहम सदस्य ममता बनर्जी की। जिन्होंने पहली बार नहीं है जब कन्नी काटी हो। पहले भी वो दिसंबर 2023 और फिर जनवरी 2024 में ऐसा कर चुकी हैं। हालांकि उनकी पार्टी नेता इसमें शामिल होते रहे हैं। तब भी व्यस्तता का हवाला दिया था। इस बार भी अपनी जिम्मेदारियों के चलते इसका फैसला किया है। दो वजहों से गठबंधन बैठक में शामिल न होने की मजबूरी बताई है। पहला साइक्लोन और दूसरा उस दिन चुनाव में मसरूफियत।
साइक्लोन पर बोलीं - ‘‘मैं सब कुछ छोड़कर कैसे जा सकती हूं? मेरी प्राथमिकता राहत कार्य है। अगर मैं यहां इस जनसभा में शामिल हूं तो भी मेरी संवेदना उन लोगों (चक्रवात से प्रभावित) के साथ है।’’
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फिर वोटिंग को लेकर भी मजबूरी बताई। उन्होंने कहा, ‘‘ ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक एक जून को निर्धारित है। लेकिन मैंने पहले ही कहा है कि एक जून को नहीं जा सकती क्योंकि उस दिन हमारे राज्य में चुनाव है। अब तक मेरे पास यही जानकारी है कि पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में चुनाव है, मतदान शाम 6 बजे तक जारी रहेगा और कभी-कभी यह उससे (शाम 6 बजे) आगे तक बढ़ जाता है।’’
अब सवाल यही है कि जब ममता भी वोटिंग की बात कर रही हैं तो आखिर जल्दबाजी क्यों?
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वजह केजरीवाल तो नहीं!
1 जून को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत की मियाद खत्म हो रही है। तो क्या इसे ही दिमाग में रख मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक तो नहीं बुलाई!केजरीवाल ने अंतरिम बेल बढ़ाने की याचिका कोर्ट में डाली जिस पर फैसला अब सीजीआई लेंगे। ऐसे में जमानत अगर नहीं बढ़ती है तो केजरीवाल का तिहाड़ जाना तय है। ऐसे में आप प्रमुख की गैर मौजूदगी में फ्यूचर प्लानिंग थोड़ी मुश्किल भरी हो जाएगी। वो इसलिए भी क्योंकि चुनाव में ये कांग्रेस-आप जितनी पास है उतनी दूर -दूर भी दिखती हैं। पंजाब में दोनों ने अपने अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं तो दिल्ली, गोवा, हरियाणा में गठबंधन धर्म निभाते हुए आगे बढ़े हैं।
तिनका-तिनका जोड़ने की आखिरी कोशिश तो नहीं!
जब से इंडी अलायंस बना है तभी से दुराव की खबरें भी सामने आती रहीं। एक मंच पर होते हुए भी डे 1 से मतभेद स्पष्ट दिखा। सनातन को लेकर दक्षिण में बवाल मचा तो उत्तर में गठबंधन साथी असमंजस की स्थिति में दिखे। फंसे तो कहना पड़ा कि ये फलां दल के फलां शख्स के निजी विचार थे। कुल मिलाकर कुनबे में फूट सभी ने देखी। अब फाइनल राउंड के ही दिन मैसेज देने की कोशिश का नाम ही शायद इंडी ब्लॉक मीट है!
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तल्खियां अंदरखाने ही नहीं बाहर भी दिख रही हैं। 'आप' की ही तरह केरल में लेफ्ट पार्टियां, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी भी अकेले चुनाव मैदान में उतरी। ये पॉलिटिकल खेला कहीं साथ साथ खेला जा रहा है तो कहीं एक दूसरे के सामने तलवारें खींच दी गई हैं। तो कहा जा सकता है कि कोशिश जो बिखर गया है, दिख रहा है उसे एक मंच पर ला All Is Well का संकेत देना एक मकसद।
बीजेपी ने कसा तंज यूपीए की दिलाई याद
बीजेपी ने कांग्रेस की तमाम कोशिशों को बेजा करार दिया है। यूपीए की याद दिला कहा है कि आखिरी चरण में हैं ये। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा- लोकसभा चुनाव का आगाज जब हुआ तो आपने एक गठबंधन का मर्सिया पढ़ा सुना...यूपीए का नाम नहीं सुना...इंडी गठबंधन में अंतिम तिलांजलि की ओर बढ़ रहा है। पांच प्रदेश जिसमें पंजाब में आप , हिमाचल में हमारा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है, उत्तर प्रदेश में सीधा मुकाबला हममें और सपा के बीच है, बिहार में इंडी गठबंधन के मुख्य सूत्रधार पहले ही राष्ट्र की मुख्यधारा में (नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी) आ गए हैं, बंगाल में टीएमसी-कांग्रेस आमने-सामने है। बंगाल में तो कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं। यहां तक कि ममता बनर्जी ने इनकी 1 जून की बैठक में आने से भी स्पष्ट मना कर दिया है।
नतीजों से पहले जल्दबाजी या...
कांग्रेस की सुस्ती पिछले एक साल से चर्चा का सबब बनी हुई है। यहां तक की उम्मीदवारों का ऐलान करने तक को लेकर सुस्त रवैया दिखा। असमंजस की स्थिति पार्टी में बनी ही रही। नामांकन दाखिल करने के दिन तक पेच फंसा रहा। यहीं नहीं इससे पहले जब एमपी-छत्तीसगढ़- राजस्थान में चुनावों से पहले कोई सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई और इसे लेकर घटक दल काफी नाराज भी दिखे। मसला सीट शेयरिंग का आया तो इसमें भी दूसरे साथी अपनी आवाज बुलंद करते रहे लेकिन कांग्रेस फिर चुप ही रही।
ग्रैंड ओल्ड पार्टी की इमेज लगातार तार तार हो रही है। नुकसान काफी हद तक हो चुका है। इमेज को झटका लग रहा है। ऐसे में सवाल यही है कि कहीं कवायद इमेज बचाने के लिए तो नहीं की जा रही ।
सौ बातों की एक बात, कांग्रेस अपना इकबाल बुलंद कर रही
पहली बैठक पटना में हुई थी। तब अगुवा की जिम्मेदारी नीतीश कुमार ने निभाई थी। अगली बैठक कर्नाटक में हुई तो कांग्रेस ने ड्राइविंग सीट झटक ली। तभी से इंडी अलायंस के बीच के अंतर्द्वंद्व की शुरुआत हो गई थी। राजद और जदयू के बीच खींचतान सियासी गलियारे में चर्चा का सबब बनी। उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने हैं। जदयू अलग हो गई तो अपनी-अपनी डफली और अपना-अपना राग गाया जाने लगा। अब अंतिम चरण से पहले की कवायद शुरू हो इससे पहले ही मल्लिकार्जुन ने सीट पर कब्जा जमाने का पासा फेंक दिया है। दिल्ली में औचक बैठक का ऐलान क्या इंडी अलायंस की डूबती नैया को संभालेगा या एक और झटके का सबब बन जाएगा?
17:42 IST, May 28th 2024