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पब्लिश्ड 16:43 IST, September 2nd 2024

जिस बिश्नोई समाज उत्सव को लेकर हरियाणा चुनाव की बदली तारीख, वो कितना प्रभावशाली, कितनी सीटों पर असर?

हरियाणा जाट बाहुल्य माना जाता है, लेकिन जब बिश्नोई समाज उत्सव को लेकर हरियाणा चुनाव की तारीख बदली है तो ये राजनीति में उसकी हिस्सेदारी को दिखाता है।

Reported by: Dalchand Kumar
Haryana Assembly Election | Image: Facebook

Haryana Election: हरियाणा में चुनाव का तारीख बदली तो बिश्नोई समाज सियासत का अहम केंद्र बिंदु बन गया। भारतीय चुनाव आयोग ने 31 अगस्त को हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए मतदान की तारीख में संशोधन किया, जिसके तहत 1 अक्टूबर को होने वाला चुनाव अब हरियाणा में 5 अक्टूबर को होगा। ये निर्णय बिश्नोई समुदाय के मताधिकार और परंपराओं का सम्मान करने के लिए लिया गया, जिन्होंने ईसीआई के अनुसार अपने गुरु जम्भेश्वर की स्मृति में आसोज अमावस्या उत्सव मनाने की सदियों पुरानी प्रथा को कायम रखा है।

भारत के चुनाव आयोग ने ये कहते हुए तारीख बदली कि इस साल बिश्नोई समाज का त्योहार 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा और सिरसा, फतेहाबाद और हिसार में रहने वाले हजारों बिश्नोई परिवार मतदान के दिन राजस्थान की यात्रा करेंगे, जिससे उन्हें अपना वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा। हालांकि हरियाणा जाट बाहुल्य माना जाता है, जिसकी आबादी में हिस्सेदारी 22 प्रतिशत से अधिक है। लेकिन जब बिश्नोई समाज उत्सव को लेकर हरियाणा चुनाव की तारीख बदली है तो इसके कुछ राजनीतिक प्रभाव तो जरूर होंगे।

हरियाणा में बिश्नोई समुदाय का प्रभाव

समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर हरियाणा में बिश्नोई समाज राजनीतिक लिहाज से कितने मायने रखती है। इसके लिए अगर हरियाणा का जातिगत आंकड़ा उठाकर देख लिया जाए तो बिश्नोई समाज की आबादी करीब 0.7 फीसदी मतलब लगभग 2 लाख है। हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 11 ऐसी सीटें हैं, जहां बिश्नोई समाज चुनाव में हार-जीत तय करता है। बिश्नोई समाज का असर जिन सीटों पर माना जाता है, उनमें आदमपुर, उकलाना, नलवा, हिसार, बरवाला, फतेहाबाद, टोहाना, सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, लोहारू विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। भिवानी, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद कुछ ऐसे जिले हैं, जिनमें बिश्नोई बाहुल्य गांव बसे हैं। बिश्नोई समुदाय हिसार और सिरसा लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है।

बिश्नोई समाज के भजन लाल ने गाड़ा था झंडा

बिश्नोई समुदाय के नेता के रूप में भजनलाल बिश्नोई हरियाणा में पहले ही झंडा गाड़ चुके थे। भजनलाल बिश्नोई ने एक गांव के सरपंच से राज्य के मुख्यमंत्री तक का सफर किया। वो 1968 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुने गए थे। भजनलाल 1979 में पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद 1982 में फिर चुने गए और 1991 में चुनाव जीतकर तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। यहां तक कि उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी पहचान बनाई। कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया था और राजीव गांधी सरकार में भजनलाल को केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्री की कुर्सी मिली। बाद में 1988 में उन्हें केंद्रीय कृषि मंत्रालय मिला।

यह भी पढ़ें: विनेश फोगाट की सियासी एंट्री की पिच तैयार, बबीता के खिलाफ ठोकेंगी ताल?
 

अपडेटेड 16:54 IST, September 2nd 2024

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